जयपुर. महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए ‘महिला निधि’ का लोकार्पण किया। इससे महिलाओं को रोजमर्रा की आवश्यकताओं के अलावा व्यवसाय को बढ़ाने व उद्यमिता के लिए सुलभ ऋण उपलब्ध हो सकेगा। महिलाओं की स्थिति बेहतर बनाने के लिए सिर्फ कानून ही काफी नहीं है, उनके साथ समानता के व्यवहार के लिए सामाजिक सोच में बदलाव की जरूरत है। राज्य सरकार द्वारा महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार सहित स्वयं की सुरक्षा और आईटी प्रशिक्षण आदि के लिए तेज गति से काम हो रहा है, ताकि वे आत्मनिर्भर बनकर प्रदेश के चहुंमुखी विकास में भागीदारी निभा सकें।
राज्य सरकार की अनेक योजनाएं महिला केन्द्रित हैं, जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्धता का परिचायक है। राज्य के विकास तथा सुशासन में महिलाओं की भागीदारी अधिक से अधिक हो, राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है। पिछले तीन वर्षो में महिला और बालिकाओं के कल्याण हेतु राज्य सरकार द्वारा बजट में 52 घोषणाएं की गई हैं।
राज्य सरकार प्रदेश की महिलाओं एवं बालिकाओं को सुरक्षा प्रदान करने, उन्हें आत्मरक्षा की दृष्टि से मजबूत बनाने तथा अपने अधिकारों और कानूनों के बारे में सजग करने के लिए प्रतिबद्ध है। पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की देन है। उनके क्रांतिकारी सुधारों की वजह से महिलाएं पहले की तुलना में अधिक सशक्त हुई हैं। उनमें आत्मविश्वास पैदा हुआ है और वे निडरता से अपने काम-काज की बागडोर संभाल रही है।
महिला निधि से मिलेगा राज्य की महिलाओं को सम्बल
बजट 2022-23 में महिला निधि की स्थापना राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् के माध्यम से करने की घोषणा की थी। तेलंगाना के बाद राजस्थान देश का दूसरा राज्य है, जहां महिला निधि की स्थापना की गई है। महिला स्वयं सहायता समूह को मजबूत बनाने, बैकों से ऋण दिलाने, गरीब, सम्पत्तिहीन और सीमान्त महिलाओं की आय बढ़ाने व कौशल विकास कर महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए महिला निधि की स्थापना की गई है।
इस योजना के अंतर्गत 40,000 रूपये तक के ऋण 48 घण्टे में व 40,000 रूपये से अधिक के ऋण 15 दिवस की समय सीमा में आवेदित सदस्यों के समूह के बैंक खाते में जमा हो जाएंगे। वर्तमान में राज्य के 33 जिलों में 2 लाख 70 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है, जिसमें 30 लाख परिवार जुडे़ हुए हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 50 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाना प्रस्तावित है, जिनमें लगभग 6 लाख परिवारों को जोड़ा जाएगा। राज्य में कुल 36 लाख परिवारों को उनकी आवश्यकताओं के आधार पर चरणबद्ध तरीके से राजस्थान महिला निधि से लाभ मिलेगा।
इस अवसर पर 6 जिलों के 386 स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को 1 करोड़ 42 लाख रूपये की राशि राजस्थान महिला निधि से ऋण के रूप में प्रदान की। सामुदायिक स्तर पर विशिष्ट कार्य करने के लिए राजीविका कम्यूनिटी कैडर की 8 महिलाओं को भी पुरस्कृत किया।
हर व्यक्ति को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराकर राजस्थान स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 10 लाख रूपए तक फ्री चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही राजकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क ओपीडी, आईपीडी, निःशुल्क जांच सुविधा उपलब्ध हो रही है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट का खर्च भी सरकार स्वयं वहन कर रही है। केंद्र सरकार को भी राजस्थान मॉडल अपनाकर देशवासियों को निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध करानी चाहिए।
शिक्षा क्षेत्र में राजस्थान नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। इसी का सफल परिणाम है कि आज उच्च शिक्षा में लड़कों से ज्यादा लड़कियां प्रवेश ले रही हैं। प्रदेश में राजकीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोल कर अभिनव प्रयोग किया गया है। यहां बच्चे प्राइमरी से अंग्रेजी पढ़ना, लिखना और बोलना सीख रहे हैं। सरकार जल्द ही 1.33 करोड़ महिलाओं को स्मार्टफोन देगी, जिससे वे बातचीत के साथ राजकीय योजनाओं के बारे में जानकारी ले सकेंगी और उनके बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे।
हर प्रदेशवासी की सामाजिक सुरक्षा हमारा मुख्य ध्येय है। वर्तमान में लगभग 1 करोड़ लोगों को पेंशन मिल रही है, जिनमें विधवा, एकल नारी व बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं। जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू कर स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, विद्युत, सामाजिक सुरक्षा सहित आधारभूत ढांचे का विस्तार और विकास किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह, आशा सहयोगिनी व सुरक्षा सखियों को राज्य सरकार की योजनाएं को घर-घर तक ले जाने का आह्वान किया।
इस कार्यक्रम में उड़ान योजना के द्वितीय चरण का भी शुभारंभ किया गया जिसमें 1 करोड़ 45 लाख किशोरियों एवं महिलाओं के लिए 600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के प्रथम चरण से 29 लाख किशोरियां और महिलाएं लाभान्वित हुई हैं।
कार्यक्रम में अमेजॉन के साथ उत्पादों के ऑनलाइन विक्रय के लिए एमओयू करार किया गया। इससे 15,000 से अधिक महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों को ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर सूचीबद्ध किया जाएगा और देश भर के लाखों अमेज़ॅन ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसके द्वारा, कारीगरों और बुनकर समुदाय को सशक्त बनाने व उन्हें अमेज़न विक्रेता बनाकर डिजिटल समावेश हेतु प्रोत्साहित करने का कार्य किया जाएगा। इस अवसर पर वर्क फ्रोम होम जॉब वर्क योजना व पोर्टल का भी शुभारम्भ किया गया।
इस मौके पर टीएसपी क्षेत्र के 5 जिलों में पूर्व में लागू इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का दायरा बढ़ाकर इसे सभी जिलों में लागू कर दिया गया। इस योजना के अंतर्गत दूसरे बच्चे के जन्म पर कुल 6000 रूपये 5 किश्तों में दिये जाते हैं। अब इस योजना का लाभ 1 अप्रेल 2022 से पूरे 33 जिले की महिलाओं को मिल सकेगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि राज्य सरकार के निरोगी राजस्थान की संकल्पना को आगे बढ़ाते हुए निशुल्क सैनिटरी नैपकिन योजना ‘उड़ान’ योजना लागू की गई, जिससे राजस्थान देश के लिए एक मॉडल स्टेट बन गया है।
मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि राज्य में महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री द्वारा बजट में महिला निधि स्थापित करने की एक ऐतिहासिक घोषणा की गई जिससे ‘समान अवसर समान अधिकार’ की संकल्पना पूर्ण हो सकेगी।
मजदूर किसान शक्ति संगठन की फाउण्डर अरूणा रॉय ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के बारे में सोचना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। यह हमारी एकजुटता से ही संभव हो पाएगा। राज्य की नई महिला नीति-2021 की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के हर कार्यकाल में योजनाओं के केंद्र में महिलाएं रही है।
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री श्री विश्वेन्द्र सिंह, मेवात विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री जुबेर खान, भारत में यूएन वूमन प्रतिनिधि सलसूसन फर्ग्यूसन, के. राजू, टाटा ट्रस्ट के सीईओ श्रीयुत् श्रीनाथ नरसिम्हन, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अपर्णा अरोड़ा, स्टेट मिशन निदेशक राजीविका मंजू राजपाल, बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यकारी निदेशक अजय के. खुराना व राजीविका से जुड़ी 10 हजार से अधिक महिलाएं एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। इनके अलावा राज्यभर से हजारों महिलाएं व गणमान्य लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़े।