जयपुर । अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसियेशन (आरतिया) ने एक विज्ञप्ति जारी करके बताया कि आज आरतिया कार्यालय में कोर कमेटी की मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई तथा साथ ही बढते हुये साईबर क्राईम व ऑनलाईन धोखाधडी के मामलों पर गहन चर्चा हुई, जिसमें आरतिया के मुख्य संरक्षक आशीष सराफ, मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई, अध्यक्ष विष्णु भूत, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी एवं राजकुमार अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश चौपडा, गिर्राज खण्डेलवाल, सज्जन सिंह आदि ने अपने विचार रखे।
मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि रिजर्व बैंक के ताजा आंकडों के अनुसार गत 7 माह में करीब 1750 करोड़ से अधिक के ऑनलाईन धोखाधडी के मामने आये है, जो कि वो आंकडा है जो किसी भी प्रकार शिकार हुए लोगों द्वारा रिपोर्ट किये गये हैं। यह आंकडा इससे कई गुना अधिक है, जो कि जानकारी के अभाव में सामने नहीं आ पाते हैं।
मुख्य संरक्षक आशीष सराफ ने बताया कि आज छोटे से छोटा काम भी कम्प्यूटर एवं मोबाईल के माध्यम से किया जा रहा है व सरकार द्वारा ऑनलाईन माध्यम से लेन-देन को प्रमोट किया जा रहा है तथा कई-कई स्थानों पर तो इसे आवश्यक रूप से लागू किया जा रहा है। इससे आम नागरिक एवं व्यापारियों को सहूलियत तो मिली है, समय कम नष्ट होता है तथा बिना भाग-दौड के फिंगर टिप्स पर आसानी से कार्य हो जाते हैं, किन्तु आज जिस गती से भारत में डिजीटलाईजेशन बढ रहा है, साईबर ठगी की वारदातें भी उसी गती से बढ रही है।
आरतिया अध्यक्ष विष्णु भूत ने बताया कि राजस्थान में भी सायबर क्राईम के आंकडे लगातार बढते जा रहे है, लेकिन इसकी शिकायत के लिये प्रदान किये गये नम्बर लगातार व्यस्त रहने के कारण लोगों की गाढ़ी कमाई साईबर अपराधियों द्वारा उडा ली जाती है, और जब तक हेल्पलाईन नम्बर पर सूचना दी जाती है तब तक राशि अन्य खातों में स्थानान्तिरत होकर निकाल ली जाती है।
आरतिया के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियानी ने बताया कि आरतिया द्वारा पहले से भारत में ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट’’ बनाये जाने की मांग की जा रही है, जो कि वर्तमान परिपेक्षय में बेहद आवश्यक है। वर्तमान में साईबर क्राईम से जुडे ज्यादातर मामले आई.टी. एक्ट 2000 की धारा 43, 65,66,67 व आई.पी.सी. की धारा 420, 120बी और 406 के अन्तर्गत चलाये जाते हैं। इसलिये ‘‘आरतिया’’ द्वारा सूचना प्रोद्योगिकी, गृह मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि आई.टी. एक्ट एवं आई.पी.सी. एक्ट की धाराओं को सम्मिलित करते हुये भारत में ‘‘साईबर क्राईम पिव्रेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट’’ बनाया जावे ताकि ऑनलाईन ठगी एवं साईबर क्राईम के पीड़ितों को एक समय सीमा में जल्द से जल्द न्याय मिल सके ।
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