कोटा । इस शहर का नाम जब भी सुनते हैं तो दिमाग में एक ही बात आती है की यह कोचिंग नगरी है जहां पर देश के कई छात्र छात्राएं पढ़ने आते हैं
देश के कोचिंग केंद्र के रूप में प्रख्यात और छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं से सुर्खियों में आए राजस्थान के कोटा शहर की पुलिस ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नयी पहल की है और छात्रों में अवसाद का पता लगाने के लिए छात्रावास के वार्डन, मेस में काम करने वाले कर्मियों और टिफिन सेवा देने वालों की सहायता ली जा रही है।
पुलिस ने छात्रावासों और पीजी (पेइंग गेस्ट) के वार्डन को ‘दरवाजे पे दस्तक’ अभियान से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मेस कर्मियों और टिफिन वालो को निवेदन किया कि अगर कोई छात्र मेस से बार-बार अनुपस्थित रहता है या खाना नहीं खाता या कोई टिफिन मंगाने के बावजूद खाना नहीं खा रहा है तो इसकी जानकारी दे
कोटा के एएसपी चंद्रशील ठाकुर ने ‘बताया कि, ‘‘हमने ‘दरवाजे पे दस्तक’ अभियान शुरू किया है जिसके जरिये हम हॉस्टल के वार्डन को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे नियमित तौर पर रात करीब 11 बजे प्रत्येक छात्र के कमरे का दरवाजा खटखटाएं और पूछे कि क्या वे ठीक हैं, उनकी गतिविधियों पर नजर रखें और सुनिश्चित करें कि उनमें तनाव, अवसाद या असमान्य व्यवहार का संकेत नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोचिंग के बाद छात्र अधिकतर समय छात्रावास में गुजारते हैं और इसलिए वार्डन पहले व्यक्ति होने चाहिए जो असामान्य स्थिति के संकेतों पर गौर करें।’’
कोटा में हर साल ढाई लाख विद्यार्थी इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय अहर्ता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं।
इस साल अबतक सर्वाधिक संख्या में 22 छात्रों ने यहां आत्महत्या की है, जिनमें से दो ने 27 अगस्त को महज कुछ घंटों के अंतराल में आत्महत्या की। पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी।
व्यस्त दिनचर्या, कठिन प्रतिस्पर्धा, बेहतर करने का नियमित दबाव, माता-पिता की उम्मीदों का बोझ और घर से दूरी ऐसी समस्याए हैं, जिनका सामना यहां दूसरे शहरों और देश के अन्य हिस्सों से आकर पढ़ाई करने वाले ज्यादातर छात्र महसूस करते हैं।