जयपुर । 19वें एशियन गेम्स में भारतीय ड्रेसाज टीम ने इक्वेस्ट्रियन (ड्रेसाज) में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया है। इस जीत में राजस्थान की दिव्यकृति सिंह चमकते सितारे के रूप में उभरी हैं। ड्रेसाज के ‘इक्वेस्ट्रियन डिसिप्लिन’ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, दिव्यकृति सिंह के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने टीम को यह उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह ऐतिहासिक उपलब्धि इंडियन इक्वेस्ट्रियन खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि आखिरी बार देश ने एशियाई खेलों में ड्रेसाज में 1986 में कांस्य पदक जीता था। भारत ने इक्वेस्ट्रियन में आखिरी बार स्वर्ण पदक 1982 में इवेंटिंग में जीता था। 50 वर्ष बाद अब इक्वेस्ट्रियन में स्वर्ण पदक जीता है।
भारतीय ड्रेसाज टीम में दिव्यकृति सिंह के अलावा, कोलकाता से अनुश अग्रवाल, इंदौर से सुदीप्ति हजेला और पुणे से हृदय छेदा भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि दिव्यकृति सिंह इक्वेस्ट्रियन टीम में राजस्थान की एकमात्र एथलीट हैं। उनका अद्भुत प्रदर्शन चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड और गल्फ देशों जैसे खेल महाशक्तियों सहित 12 देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का नतीजा है।
दिव्यकृति की उपलब्धि को और भी विशेष बनाने वाली बात उनकी उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग है। इंटरनेशनल इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन (एफईआई) ग्लोबल ड्रेसाज रैंकिंग के अनुसार, वह वर्तमान में एशिया में नंबर एक और वैश्विक स्तर पर 14वें स्थान पर है।
उत्साहित दिव्यकृति, जो कि मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल, अजमेर की पूर्व छात्रा हैं, ने कहा, “एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करना और अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 40 वर्षों के अंतराल के बाद ड्रेसाज में भारत के लिए पदक जीतने में योगदान देना मेरे लिए गर्व का क्षण है। एशियाई खेलों में प्रतिस्पर्धा करना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है और यह बहुत ही सुखद अनुभव था। इसके लिए मैं अपने घोड़ों, प्रशिक्षकों और इंडियन इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन की आभारी हूं।”
गौरतलब है कि इक्वेस्ट्रियन एकमात्र ऐसा डिसिप्लिन है, जहां पुरुष और महिलाएं एक साथ और एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हैं – पुरुषों और महिलाओं के लिए कोई अलग श्रेणियां नहीं हैं। ड्रेसाज व्यक्तिगत प्रतियोगिता 27 और 28 सितंबर को चीन के हांग्जो में टोंग्लू इक्वेस्ट्रियन सेंटर में आयोजित की जाएंगी।