जी हाँ जो इस खबर की हैडिंग है वही सबकुछ बया कर रही है क्योंकि पिछले पांच साल में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में जो भी पुराने कार्यकर्ता थे उन्हें साइडलाइन कर दिया और नए नए नेताओं को फ्रंट में खड़ा कर दिया लेकिन अब बात यह है कि वो नेता जो वर्षों से पार्टी के साथ रहे उन्हें नज़रअंदाज़ किया जा रहा है जिन्होंने पार्टी के हर कार्यक्रम को सफल बनाया पार्टी का सच्चा सिपाही के तौर पर रहे उन्हें पिछले 5 सालों में खत्म कर दिया ।
राजनीति का इतिहास यही कहता है की राजनीति में जो वरिष्ठ है उसे तवज्जो दी जाती है और जो वरिष्ठ है वह अनुभव से राजनीति करता है और अनुभव से सरकार चलता है लेकिन भाजपा में यहां पर सब कुछ उल्टा चल रहा है भाजपा के आलाकमान द्वारा क्षेत्रीय नेताओं को तवज्जो नहीं दे रहे हैं इस बार भी जो भाजपा 41 उम्मीदवार की लिस्ट निकली उस लिस्ट में 7 सांसदों को टिकट दिया है जो यह दर्शाता है कि आलाकमान की जिद्दी अपने आप को बड़ा मानता है लेकिन जिस दिन जनता ने ठान लिया उस दिन आलाकमान तो क्या सरकार को कोई नहीं बचा पाएगा।