जयपुर। हिंदुस्तान इंसेक्टीसाईड्स लि. के प्रबंध निदेशक कुलदीप सिंह ने देश के कृषि जिंस उत्पादक किसानों को सुझाया है कि शुद्ध उत्पादन के लिए बायो-खाद एवं पेस्टीसाईड्स का उपयोग करें। वे आज आरतिया कार्यालय आये थे और टीम आरतिया से मुलाकात में उन्होंने कहा कि हाल ही सिंगापुर, अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारतीय मसालों की जांच उपरांत इनमें हानिकारक रसायन पाये जाने का जो घटनाक्रम हुआ है, उससे दो बड़े नुकसान दृष्टिगत हुए हैं, पहला तो यह कि भारतीय मसालों की छवि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत चुनौतीपूर्ण हो गई है और दूसरी यह कि इस तरह के मसाले हम भारतीयों की सेहत के साथ खिलवाड़ वाले भी हैं। इस स्थिति से देश को बचाना जरूरी है और यह तभी संभव है जबकि किसान बायो-खाद और पेस्टीसाईड्स का उपयोग करे।
उन्होंने जानकारी दी कि हिंदुस्तान इंसेक्टीसाईड्स लि. 1954 में स्थापित हुई थी और मच्छरों को मारने के काम आने वाले डीडीटी पाउडर का उत्पादन करती थी। अब डीडीटी की जगह एक बायो-मच्छरनाशक बीटीआई प्रस्तुत किया गया है, जो कि पूर्णतया जैविक है। इस बीटीआई का उत्पादन सोयाबीन एब्सट्रेक्ट से किया जाता है। इसी तरह कुछ कीटनाशक नीम और सहजना की पत्तियों-फलियों से भी बनाये जा रहे हैं। डीडीटी का उत्पादन इस कंपनी ने बंद कर दिया है। कंपनी का फोकस अब बायो-कीटनाशकों पर है और इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करने का काम भी कंपनी कर रही है। राजस्थान प्रदेश में इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के जरिये काम करने की योजना भी है। उन्होंने जानकारी दी कि कीटनाशक छिड़काव में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है और इससे किफायती तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है। इसके लिए भी किसानों को शिक्षित किया जायेगा।
आरतिया कार्यक्रम में कुलदीप सिंह का स्वागत मुख्य चेयरमैन कमल कंदोई, मुख्य संरक्षक आशीष सर्राफ, कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम बियाणी, आरतिया के पदाधिकारी कामटेक एसोसियेट्स के अजय गुप्ता, नियाम के पुर्व निदेशक रमेश मित्तल, फिक्की के पूर्व निदेशक ज्ञान प्रकाश, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश शर्मा, उपाध्यक्ष विनोद शर्मा व कैलाश खंडेलवाल, तकनीकी विशेषज्ञ तरूण सारडा और पेस्टीसाईड्स एवं खाद के प्रमुख व्यवसायी अशोक शर्मा ने किया।
हिंदुस्तान इंसेक्टिसाईड्स लि. भारत सरकार का उपक्रम है और यह कीट-नाशकों, कृषि रसायनों और बीज उत्पादों के उत्पादन में अग्रणी है। यह संस्थान अब जैविक कीटनाशकों पर स्विच कर रहा है और इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार प्रारंभ किया जा रही है। इसके लिए यूनिडो की फाइनेंसिंग एग्रोकेमिकल रिडक्षन एंड मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत अब रसायनिक कीटनाशकों के उत्पादन को कम करने, जैविक कीटनाशक इकाइयों की स्थापना करना और जैविक खेती को बढ़ावा देना है। इसमें तकनीकी क्षमता निर्माण, तकनीकी हस्तांतरण और जैविक इनपुट्स का उत्पादन समाहित है। कंपनी जल्द ही प्रकृति वाहक नामक ड्रोन हब व केंद्रों की शुरूआत करेगी, जिसका मकसद किसानों के बीच ड्रोन, जैविक कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना है।